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मौसम का मिजाज हाल बुरा ना कर दे…..

Jagran Sakhi
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आमतौर पर सर्दियों को हेल्दी  सीजन माना जाता है, लेकिन बुजुर्गो को इस मौसम में विशेष देखभाल की जरूरत होती है। सर्दियों में वायरस और बैक्टीरिया ज्यादा  सक्रिय होते हैं। बुजुर्गाे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस वजह से सर्द मौसम में खांसी-जुकाम और बुखार  जैसी समस्याएं उन्हें परेशान करने लगती हैं। इन समस्याओं को सीजनल  इफेक्टिव  डिसॉर्डर  कहा जाता है। इसके अलावा जिन बुजुर्गो को आथ्र्राइटिस,  एस्थमा,  डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी समस्याएं होती हैं, मौसम का कम तापमान उनकी समस्या और बढा देता है। आइए जानते हैं कि इस मौसम में कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं बुजुर्गो को ज्यादा  परेशान करती हैं। अत: इस मौसम में उन्हें विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।


old age peopleठंडक का आघात हाइपोथर्मिया

इस मौसम के ठंडक की वजह से बुजुर्गो के शरीर का तापमान भी कम हो जाता है। ठंड के प्रति उनका शरीर बेहद संवेदनशील हो जाता है, जिससे उनकी मांसपेशियों और हड्डियों में अकडन  आ जाती है।


बचाव : इस समस्या से बचने के लिए बुजुर्गो को इनर के साथ पर्याप्त मात्रा में ऊनी कपडे पहनने चाहिए। उनके कमरे के तापमान को नियंत्रित करने के लिए घर भीतर हीटर या ब्लोअर का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इस मौसम में शरीर की गर्म सिंकाई करने वाले हीटिंग पैड्स क ा इस्तेमाल भी उन्हें राहत दिलाता है। सचेत रहें ऑस्टियोपोरोसिस  के मरीज बढती उम्र के साथ वैसे तो ज्यादातर  लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस  हो जाता है, पर मेनोपॉज के बाद प्रोजेस्टेरॉन  हॉर्मोन  की कमी की वजह से स्त्रियों को यह समस्या ज्यादा  परेशान करती है। इस मौसम में ठंड से मांसपेशियां अकड जाती हैं। इस समस्या से ग्रस्त बुजुर्गो  के हाथ-पैरों का दर्द बढ जाता है।


बचाव : इस समस्या से बचने के लिए सुबह-शाम मोजे और दस्ताने  जरूर पहनें। नहाने के लिए हमेशा गर्म पानी का इस्तेमाल करें। रात को सोने से पहले नमक मिले गुनगुने पानी में पैर डुबो कर बैठना भी दर्द से राहत दिलाता है। प्रतिदिन थोडी देर धूप में जरूर बैठें। सूर्य किरणों से मिलने वाला विटमिन  डी बुजुर्गो की हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। खानपान में मिल्क प्रोडक्ट्स को प्रमुखता से शामिल करें। अगर दर्द ज्यादा  हो तो डॉक्टर की सलाह पर किसी दर्द निवारक दवा का भी सेवन किया जा सकता है।


एस्थमा  भी बढाती है सर्दी

सर्दी के मौसम में वातावरण में मौजूद एलर्जी फैलाने वाले तत्वों के प्रति बुजुर्गो की श्वास-नलिकाएं अति संवेदनशील होकर सिकुड जाती हैं। इसलिए इस मौसम में बुजुर्गो को एस्थमा  यानी सांस लेने में तकलीफ होती है। इस मौसम के शुष्क वातावरण की वजह से बुजुर्गो को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है।


बचाव: इस मौसम में सुबह के समय वातावरण में मौजूद धूल कणों और गाडियों के धुएं का गहरा आवरण छाया रहता है, जिसे स्मॉग कहा जाता है। यह प्रदूषण एस्थमा  के रोगियों के लिए बहुत नुकसानदेह होता है। इसलिए इस मौसम में बुजुर्गो को मॉर्निग वॉक  पर जाने के बजाय घर पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। रात को सोते समय कमरे की सभी खिडकियां बंद न करें। अपने कमरे में ज्यादा  देर तक हीटर या ब्लोअर न चलाने दें। इससे कमरे का स्वाभाविक ऑक्सीजन  नष्ट हो जाता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। अगर कभी रात को अचानक तेज खांसी आने के बाद आपकी नींद टूट जाती है तो थोडी देर के लिए खुली खिडकी के सामने खडे हो जाएं। नेब्यूलाइजर  और पफ  हमेशा अपने साथ रखें ताकि आकस्मिक स्थिति में उसका इस्तेमाल कर सकें। अपने करीबी लोगों और फेमिली  डॉक्टर का नंबर हमेशा अपने पास रखें, ताकि जरूरत पडने पर उनसे सहायता ले सकें।


हाई ब्लडप्रेशर और ठंड

इस मौसम के साथ हाई ब्लडप्रेशर का बडा ही करीबी रिश्ता है। ज्यादातर  बुजुर्गो को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या होती है और वैज्ञानिकों द्वारा किए  गए सर्वेक्षणों में यह पाया गया है कि सर्दी के मौसम में 33  प्रतिशत लोगों का ब्लडप्रेशर  बढ जाता है। इस मौसम में अंत:स्रावी  ग्रंथियों  से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स  निकलते हैं, जो ब्लडप्रेशर बढाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।


बचाव: भोजन में नमक का इस्तेमाल कम से कम मात्रा में करें। शराब, सिगरेट, नॉनवेज  और तल-भुनी चीजों से दूर रहने की कोशिश करें। सात्विक आहार और व्यायाम के माध्यम से अपना वजन संतुलित रखने की कोशिश करें।


हृदय रोग में सावधानी

इस मौसम में दिल का दौरा पडने का खतरा  सबसे ज्यादा  होता है। सर्दियों में ठंड के कारण रक्तवाहिका नलिकाएं सिकुड जाती हैं, जिससे उनकी सक्रियता कम हो जाती है और दिल का दौरा पडने का खतरा  बढ जाता है। इसके अलावा ठंड से बचाव की प्रतिक्रिया स्वरूप इस मौसम में शरीर का मेटाबॉलिक  रेट बढ जाता है। इससे हार्ट पर ज्यादा  दबाव पडता है और इसी से सर्दियों में हार्ट अटैक की आशंका बढ जाती है। बुजुर्गो में हृदय रोग की समस्या ज्यादा  होती है। इसलिए उन्हें इस मौसम में विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।


बचाव: इस मौसम में 10-15  दिन ऐसे जरूर होते हैं, जब तापमान बहुत कम होता है। ऐसी स्थिति में दिल के मरीजों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे तक धूप में जरूर बैठें। सूरज की किरणों से मिलने वाला विटमिन डी हमारे शरीर को हार्ट अटैक से बचाता है। इस सुहावने मौसम में पार्टियों और पिकनिक का दौर चलाता रहता है। इससे कई बार ओवरईटिंग  हो जाती है, जो दिल के मरीजों के लिए नुकसानदेह साबित होती है। ऐसी समस्या से बचने के लिए सादा और संतुलित आहार अपनाएं।


साइको-जेरीएट्रिक  डिसॉर्डर्स

उम्र बढने के साथ बुजुर्गो को जिन मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पडता है, उन्हें साइको-जेरीएट्रिक  डिसॉर्डर्स  कहा जाता है। सर्दी के मौसम में ऐसी समस्याएं बढ जाती हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से यह साबित हो चुका है कि सर्दी के मौसम में बुजुर्गो की शारीरिक गतिविधियां बेहद सीमित हो जाती हैं। ठंड से बचने के लिए उनका अधिकांश समय घर के भीतर व्यतीत होता है। ऐसे में अकेलेपन और बोरियत की वजह से उन्हें डिप्रेशन  और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं।


बचाव: ऐसी समस्याओं से बचने के लिए फोन और इंटरनेट के माध्यम से अपने करीबी लोगों से बातचीत करते रहें। जब भी धूप खिली हो, घर से बाहर निकल कर घूमने जरूर जाएं। अगर सेहत इजाजत दे तो बागवानी करें, विडियो गेम्स खेलें, पास-पडोस के बच्चों को पढाएं, अपने घरेलू कार्यो में परिवार के अन्य सदस्यों का सहयोग करें। इससे आपको अकेलापन महसूस नहीं होगा और आप मानसिक रूप से प्रसन्न रहेंगे।


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