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वर्जित या सीक्रेट चीजें मनुष्य को हमेशा से लुभाती रही हैं। शायद इसलिए बोल्ड फिल्म इंडस्ट्री का कारोबार विश्व भर में इस तरह फल-फूल रहा है। आंकडों के मुताबिक हर सेकंड में लगभग 28 हजार लोग बोल्ड साइट्स खंगालते हैं और करीब 370 लोग अपने की बोर्ड पर एडल्ट सर्च टाइप करते हैं।
इसी वर्ष हुए एक सर्वे के अनुसार ग्रामीण भारत में 75 प्रतिशत प्री-यूनिवर्सिटी छात्र बोल्ड मूवीज देखते हैं। आंकडों की मानें तो इंटरनेट सर्च में 30 प्रतिशत हिस्सा पोर्न का है। 70 प्रतिशत पुरुष और 30 प्रतिशत स्त्रियां बोल्ड फिल्में देखती हैं।
यूके की बात करें तो यहां पोर्न साइट्स की एक्सेस सोशल मीडिया या शॉपिंग साइट्स से भी ज्यादा है। एक सर्वे में नवीं कक्षा में पढने वाले लगभग सभी छात्रों सहित 50 प्रतिशत छात्राओं ने माना कि वे पोर्न देखते हैं। हालत यह है कि लगभग 37 प्रतिशत परिवारों को अपने यहां पोर्न फिल्टर्स लगाने पडे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में 64 प्रतिशत बच्चे पोर्नोग्राफी से ही सेक्स एजुकेशन ले रहे हैं। दो-तिहाई पुरुष पोर्न देखते हैं। इनमें 20 प्रतिशत ऐसे भी हैं जिन्हें पार्टनर के बजाय पोर्न भाता है। 30 प्रतिशत ने यहां तक माना कि पोर्न के कारण उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई है।
यूएस तो पोर्न किंग है। कैलिफोर्निया यहां की पोर्न इंडस्ट्री का इंजन है। इंटरनेट के पोर्न पेजेज में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी यूएस की ही है। यहां लगभग हर 40 मिनट में एक नया पोर्नोग्राफिक विजुअल तैयार होता है।
क्यों है यह आकर्षण
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ काउंसलिंग, दिल्ली की चेयरपर्सन डॉ. वसंता आर. पत्रे कहती हैं, यह नया ट्रेंड है, जो हाल के 10 वर्षो में दिखा है। इसका एक बडा कारण यह है कि हमारे समाज में सेक्स को लेकर एक टैबू है। स्त्री-पुरुष संबंधों को सकारात्मक ढंग से नहीं लिया जाता। ग्रामीण क्षेत्रों में एंटरटेनमेंट के कोई साधन नहीं हैं और शहरों में बच्चों को अपनी फिजिकल एनर्जी निकालने के लिए आउटडोर गेम्स नहीं हैं। उनका पूरा समय कंप्यूटर-लैपटॉप के आगे गुजर रहा है। गांवों में भी अब शादी देर से होने लगी है। ऐसे में लोग पोर्न में ही सेक्सुअल प्लेजर तलाश रहे हैं। पोर्न देखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इसकी लत बुरी है। खासतौर पर टीनएजर्स को यह लत न लगे, इस पर ध्यान जरूर देना चाहिए। महानगरों में तो कई बार पति-पत्नी दोनों साथ पोर्न मूवीज देखते हैं। उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बेहद बोरिंग है और वे इसके जरिये अपनी सेक्स लाइफ में थोडा एक्साइटमेंट जगाना चाहते हैं।
क्रेविंग है खतरनाक
सेक्सुअल प्लेजर के लिए कभी-कभी पोर्न देखना हानिकारक नहीं है, लेकिन जब इस ग्राफिक विजुअल की क्रेविंग बढने लगे और व्यक्ति के कामकाज पर इसका असर पडने लगे तो इसे एडिक्शन माना जाएगा। यह एडिक्शन एल्कोहॉल या नार्कोटिक्स के नशे जितना ही घातक हो सकता है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सेहत के साथ ही संबंधों पर भी यह नशा घातक प्रभाव डालता है। डॉ.पत्रे का मानना है किपिछले कुछ वर्षो में दांपत्य समस्याओं में पोर्न एडिक्शन भी एक कारण की तरह सामने आने लगा है।
एक ग्लॉसी मैगजीन लिखती है कि पोर्न एडिक्शन के कारण वनिला सेक्स (कन्वेंशनल सेक्स मुद्राएं) की इच्छा में कमी आई है। पोर्न के कारण पुरुष रीअल साथी के बजाय लैपटॉप वाली हॉट गर्ल के करीब हो गए हैं। जाहिर है, इससे बेडरूम संबंधों पर बुरा असर पडा है। तलाक के कई मामलों में पोर्न एडिक्शन नए कारण के तौर पर उभरने लगा है। हालांकि लो लिबिडो जैसी समस्या में इससे कमी आती है। बहरहाल, हम मानें या नहीं, मगर भारत के ज्यादातर बेडरूम्स में पोर्न की पहुंच हो चुकी है।
लत जब बने बीमारी
पोर्न एडिक्शन को सेक्सुअल अटेंशन डिफिशिट डिसॉर्डर (एसएडीडी) कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति वास्तविक साथी के बजाय विजुअल या ग्राफिक इमेज के प्रति आकर्षित होता है। यह स्थिति आगे बढती है तो पार्टनर के साथ रिलेशनशिप में समस्याएं आने लगती हैं। इस एडिक्शन का प्रभाव कई स्तरों पर पडता है।
1. टीनएज में पोर्न का ओवर-एक्सपोजर आगे जाकर रीअल लव-मेकिंग में बाधक हो सकता है। सेक्स की ओवरडोज से सेक्स के प्रति संवेदनाएं खत्म होने लगती हैं।
2. पोर्न एडिक्ट अपने कीमती समय और पैसे को पोर्न साइट्स और मूवीज पर खर्च करने लगता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड सकता है।
3. एक बार लत लग जाए तो व्यक्ति और अधिक उत्तेजक तरीके ढूंढने लगता है। कंट्रोल से बाहर होती जाने वाली यह इच्छा कई बार यौन-अपराधों को जन्म देती है।
4. व्यक्ति मल्टीपल पार्टनर्स की तरफ बढता है, जिससे दांपत्य जीवन में दरार बढती है। एसटीडीज (सेक्सुअल ट्रांस्मिटेड डिजीज) की आशंका भी बढ जाती है।
5. कई बार वर्तमान पार्टनर विजुअल इमेज वाली तसवीर से मेल नहीं खाता तो सेक्स इच्छा घटने लगती है, क्योंकि साथी से कुछ एक्स्ट्रा की उम्मीदें करने लगता है।
6. यह व्यक्ति के सेक्सुअल माइंड को ही बदल देता है। सामान्य व्यक्ति ट्रडिशनल सेक्सुअल क्रियाओं से उत्तेजना महसूस करता है, लेकिन पोर्न एडिक्ट के लिए फोरप्ले जैसी क्रियाएं नाकाफी होती हैं, क्योंकि वह इससे बहुत आगे की इमेजेज देखता है। उसे फोरप्ले भी बोरिंग लगता है।
इलाज है संभव
हर नशे का इलाज संभव है। पोर्न एडिक्शन से उबरने में काफी ऊर्जा और समय लग सकता है, लेकिन इसका इलाज भी संभव है।
जानें इसकी लत से बचने के कुछ उपाय-
1. टीनएजर बच्चों को शुरू से अच्छी किताबों, फिल्मों, प्रेरक प्रसंगों, व्यायाम, योग की ओर ले जाएं, ताकि वे अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाएं।
2. पोर्न एडिक्शन को स्वीकारना जरूरी है। इलाज की प्रक्रिया तभी शुरू हो सकती है, जब यह मालूम हो कि समस्या क्या है।
3. समस्या को शेयर करें। कोई ऐसा हो जो इस समस्या से उबर चुका हो तो उससे अपनी समस्याएं बांटें। किसी करीबी से भावनाएं बाटें, उससे भी मदद मिल सकती है।
4. खुद को समय देना जरूरी है। कोई भी लत रातों-रात दूर नहीं हो सकती। एडिक्शन की फ्रीक्वेंसी घटाने की कोशिश करें।
5. अपना ध्यान बांटें। दिलचस्प किताबें पढें, कॉमेडी मूवी देखें या बाहर घूमने जाएं। खासतौर पर तब, जब पोर्न मूवीज देखने का मन करने लगे।
6. पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करें। उससे सेक्सुअल भावनाएं बांटें। अपने कमरे से कंप्यूटर और लैपटॉप को दूर रखें।
7. बेचैनी, खालीपन या अवसाद को खत्म करने के लिए योग, ध्यान व व्यायाम करें। ख्ासतौर से प्राणायाम या अन्य ब्रीदिंग एक्सरसाइजेज से आत्म-नियंत्रण संभव है।
8. दृष्टिकोण बदलें। सकारात्मक रहें। कुछ ऐसा करें, जो अपने बारे में अच्छा महसूस कराए। गार्डनिंग करें, किसी की मदद करें ताकि अपराध-बोध से बाहर निकल सकें।
9. दिनचर्या को व्यवस्थित रखें। सोने-जागने व खाने का समय निर्धारित करें। इससे भी समस्या को सुधारने में मदद मिलेगी।
10. साथी के साथ भरपूर समय बिताएं। उससे भावनाएं शेयर करें। साथ में रोमैंटिक पल बिताएं। व्यस्तता के बीच भी एक-दूसरे से बात करते रहें, ताकि स्पार्क बना रहे।
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