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हनीमून पहला साल रहे खुशनुमा

Jagran Sakhi
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शादी का पहला साल आमतौर पर हनीमून पीरियड माना जाता है, लेकिन एक नई रिसर्च कहती है कि हनीमून पीरियड में हनी तो होता ही नहीं है। युवा जोडे मानते हैं कि रीअल लाइफ में शादी के तुरंत बाद इतने दबाव-तनाव होते हैं कि इनसे जूझने में ही पहला साल निकल जाता है। हनीमून तो कल्पना में ही रह जाता है।


पहला वर्ष तनावपूर्ण

मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) में हुए एक शोध के अनुसार नवविवाहित दंपती शादी के पहले साल अकसर नाखुश रहते हैं। यानी पहला साल तनावपूर्ण होता है, दूसरे साल स्थिति तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में होती है और तीसरे साल से तनाव के बादल छंटने शुरू हो जाते हैं। ये तीन साल धैर्यपूर्वक निकल जाएं तो आगे का जीवन शांति से बीत सकता है। मजेदार तथ्य यह है कि शादी के 40 साल बाद दंपती सर्वाधिक खुशहाल होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के देकिन  विश्वविद्यालय में हुए इस अध्ययन में हजारों लोगों से विवाह संबंधी सवाल पूछे गए। जवाबों के आधार पर उन्हें 0-100 के बीच अंक दिए गए। ज्यादातर लोगों को 75 अंक मिले। नवविवाहितों को औसतन 73 अंक मिले। चार दशक से ज्यादा समय साथ गुजारने  वाले दंपतियों को औसतन 79 अंक मिले। शोधकर्ताओं ने माना कि ये नतीजे अप्रत्याशित हैं। आम धारणा है कि नवविवाहित जोडे ज्यादा खुश रहते हैं। शोध में कहा गया कि शादी के दूसरे-तीसरे साल से जीवन में स्थिरता आने लगती है। यह भी देखा गया है कि अविवाहित या तलाकशुदा लोगों की तुलना में विवाहित (विवाहित स्त्रियां) अधिक खुश रहते हैं।

लाइफस्टाइल एक्सपर्ट डॉ. रचना खन्ना कहती हैं, तलाक के अधिकतर मामले शुरुआती वर्षो में ही देखने को मिलते हैं। धीरे-धीरे एडजस्टमेंट की स्थिति बनने लगती है।


मिठास क्यों होती है गुम

एक्सप‌र्ट्स  का मानना है कि दबाव व तनाव शादी की मिठास को कम करने में भूमिका निभाते हैं। कुछ आम कारण हैं-

1.  नया माहौल : दो भिन्न-भिन्न परिवेश से आने वाले व्यक्ति साथ जीवन की शुरुआत करते हैं तो इसकी अपनी दिक्कतें होती हैं। कई तरह के कल्चर शॉक भी लगते हैं।

2.  सेक्स को लेकर भ्रांतियां : खासतौर  पर भारतीय समाज में सेक्स को टैबू  बनाया गया है। ऐसे में युगल के मन में कई तरह की भ्रांतियां होती हैं, जिसका असर संबंधों पर पडता है।

3. पारिवारिक अपेक्षाएं : शादी करते ही कई नए रिश्ते बन जाते हैं और परिवार के साथ एडजस्टमेंट  की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे में कई गलतफहमियों-परेशानियों  के पनपने की आशंका होती है। पारिवारिक अपेक्षाएं लडकियों से ज्यादा  होती हैं, इसलिए एडजस्टमेंट  की समस्याएं भी उन्हीं के सामने ज्यादा  होती हैं।


4.  अलग-अलग आदतें : सोने-जागने, घूमने-फिरने, खानपान, एक्सरसाइज,  फिटनेस  को लेकर सबकी आदतें अलग-अलग होती हैं। लेकिन जब दो अलग-अलग व्यक्ति दांपत्य जीवन में प्रवेश करते हैं तो अलग-अलग आदतों के कारण भी उन्हें समस्या होती है।

5.  बेडरूम शेयर करना : यह बात सुनने में जितनी भी अजीब लगे, लेकिन सच है कि एकाएक किसी नए व्यक्ति के साथ बेडरूम शेयर करने का विचार जल्दी गले नहीं उतरता। लगता है मानो प्राइवेसी खत्म हो गई है। धीरे-धीरे ही शेयरिंग का महत्व समझ आता है।

6.  सपने व हकीकत : असल शादी फिल्मी शादी से जुदा है। कुछ लोग इसे लेकर ढेरों ख्वाब बुन लेते हैं। अपेक्षाओं को फलने-फूलने के लिए सही मिट्टी न मिले तो सपने मुरझा भी जाते हैं।

7.  बढती जिम्मेदारियां : शादी दो व्यक्तियों ही नहीं, दो परिवारों का भी संबंध है। सिंगल से मिंगल होते ही नए रिश्ते बनते हैं और पारिवारिक दायित्व बढ जाते हैं। अब तक जो प्यारे-दुलारे बेटा-बेटी थे, अब जिम्मेदार दामाद-बहू, चाचा-चाची, भैया-भाभी की भूमिका में हैं। अचानक ये बडी-बडी उपाधियां बढती जिम्मेदारियों  का एहसास कराने लगती हैं।


8.  हनी में मनी : हनीमून पीरियड में अमूमन दंपती खर्च की लगाम ढीली छोड देते हैं। पार्टनर की लापरवाह और खर्चीली आदतें बुरी भी लगें तो टोकना मुनासिब नहीं समझा जाता। नतीजा यह कि महीने का बजट पांच दिन में सफाचट और बाकी के दिन फाकामस्ती  में गुजरते  हैं।

9. व्यस्तता और दिनचर्या : नौकरी की व्यस्तता, दिनचर्या और काम का बढता दबाव भी हनी को ्रगायब कर देता है। अधिकतर दंपती शादी करके नए घर में जाते हैं। दोनों नौकरीपेशा हैं तो परेशानियां बढती हैं। थकान और दबाव से आपसी संबंधों पर असर पडता है।

10.  प्रेग्नेंसी  सिंड्रोम : यह दौर महत्वाकांक्षी कपल्स का है जो आर्थिक स्थायित्व आने तक बच्चा नहीं चाहते। सारी कोशिशों के बावजूद ्रगलती हो जाने का डर सताता है। लडकियों को प्रेग्नेंसी सिंड्रोम  घेरे रहता है। एक ओर घर-परिवार की अपेक्षाएं, दूसरी ओर करियर  और आजादी.., ये सारी बातें रिश्तों पर असर डालती है।


ताकि हनीमून ओवर न हो

खुशियां अकेले नहीं आतीं, अपने साथ बेचैनियां भी लाती हैं। खुशी के साथ मिलने वाली इन छोटी-छोटी परेशानियों को भी हंस कर स्वीकारें, इसी में रिश्तों की कामयाबी है। नवविवाहित दंपतियों के लिए कुछ टिप्स –

1. शादी एक एडजस्टमेंट  है : असल दांपत्य जीवन हनीमून से लौट कर शुरू होता है। यहां से नॉर्मल रुटीन शुरू होता है। असली चेहरे भी नजर आने लगते हैं। डेटिंग  पीरियड में जो बातें सकारात्मक लगती थीं, एकाएक नकारात्मक लगने लगती हैं। यहां शादी का पहला सूत्रवाक्य याद रखें कि शादी एक एडजस्टमेंट का नाम है। सोच लें कि पार्टनर की कुछ आदतें आप कभी नहीं बदल सकेंगे इसलिए बहुत आशान्वित न रहें। खुद को बदल सकें तो बेहतर है।

2.  स्वाद, संवाद और सेक्स : वैवाहिक जीवन में तीन स यानी स्वाद, संवाद और सेक्स के महत्व को समझें। स्वाद के बारे में भारतीय कहावत है कि पति के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है। संवाद एक-दूसरे को समझने की प्रक्रिया में जरूरी कडी है और सेक्स के बिना तो दांपत्य में मधुरता की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इन तीनों के महत्व को समझें।


3.  हनी-मनी का रिश्ता : एक फिल्मी गीत प्यार चाहिए या पैसा चाहिए की पंक्ति है, प्यार के लिए भी मगर पैसा चाहिए..। यह सच है कि हनीमून पीरियड में नए-नए अरमानों को पूरा करने की ख्वाहिश होती है, लेकिन इसमें पॉकेट इतनी भी ढीली न करें कि मनी हनी पर हावी हो जाए और शुरू हो जाएं गृहस्थी के खटराग।

4. स्पेस  मैनेजमेंट : शादी का यह अर्थ नहीं है कि अब पर्सनल लाइफ खत्म हो गई। मोबाइल पर पुराने दोस्त का मैसेज आते ही पार्टनर का चौकन्ना होना, ऑफिस पार्टी या मीटिंग के बीच फोन करते रहना कई बार दूसरे को चिढने की वजह देता है। पति-पत्नी हैं, एक-दूसरे के मैनेजर नहीं कि हर सेकंड का हिसाब-किताब रखें। स्पेस  दें और अपने लिए भी स्पेस  रखें। घर से लेकर रिश्तों तक यह स्पेस  मैनेजमेंट जरूरी  है।


5.  अपना खयाल : शादी होते ही दूसरे पर निर्भरता बढ जाती है। लडकियों के साथ ऐसा ज्यादा होता है। डॉक्टर के पास जाना हो या मूवी देखने, पति के साथ ही जाएंगी। पार्लर जाने की फुर्सत नहीं और न दोस्तों को याद करने का समय है। यहीं से शुरू होती है चिडचिडाहट और रिश्तों का दबाव महसूस करने की स्थिति। यह स्थिति न आए, इसके लिए खुद को आत्मनिर्भर बनाएं और अपना खयाल  रखें। खुद को स्वस्थ व सुंदर बनाएं, तभी दांपत्य जीवन को भी खुशहाल  बनाए रखेंगे।

छोटी-छोटी बातों को दिल से न लगाएं, छोटी-छोटी खुशियों को दांपत्य की झोली में भरते रहें, धैर्य रखें, झुकने के लिए तैयार रहें, रिश्तों में अहं न आनें दें और सेक्स संबंधों का महत्व समझें, ताकि हनीमून पीरियड कभी ओवर न हो।


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