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‘देखते ही देखते सब कुछ फाइनल हो जाए’

Jagran Sakhi
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ऐसा होता नहीं है। आप किसी कैफे में बैठी कॉफी पी रही हों। किसी निर्देशक की नजर आप पर पड़े। आप उसे अपनी फिल्म के लिए उपयुक्त लगें। देखते ही देखते चंद दिनों में सब कुछ फाइनल हो जाए। आप शूटिंग के लिए विदेश चली जाएं। फिल्म बने और रिलीज हो तो सभी चौंक पडें अरे कमाल हो गया। इसे आपकी किस्मत ही कहा जा सकता है। ऐसा हुआ और कंगना रनौत 19 साल की उम्र में एक सफल फिल्म की हीरोइन बन गई। अनुराग बसु की गैंगस्टर 2006 में आई। उसके बाद से उन्हें पीछे पलट कर देखने या रुक कर सोचने-समझने की जरूरत नहीं पडी। करीब छह सालों के बाद कंगना ने खुद के लिए छुट्टी ली है। वह विस्तार चाहती हैं। अपनी सृजनात्मक इच्छाओं के लिए ए माध्यम खोज रही हैं।

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काम व कामयाबी साथ-साथ

flimकंगना को काम के साथ कामयाबी मिलती चली गई। उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पडी। वह अफवाहों और विवादों के साथ घरेलू उलझनों में भी फंसीं, लेकिन हमेशा बगैर खरोंच के निकल आई। कुछ है हिमाचल प्रदेश के भांबला जैसे छोटे शहर की इस लडकी में, जो प्रतिकूल स्थितियों को भी अपने अनुकूल कर लेती है। पिछले छह सालों में लगभग 20 फिल्मों में काम कर चुकी कंगना ने सामान्य और विशेष दोनों तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। उन्हें फैशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके अभिनय में खास किस्म की कशिश और आवाज में दर्द है। कशिश और दर्द का यह मिश्रण उनकी भूमिकाओं को विश्वसनीय बना देता है। शुरू में उनको ज्यादातर ट्रैजिक शेड की भूमिकाएं मिलीं। हिंदी फिल्मों में हीरो-हीरोइनों की इमेज को खूब भुनाया जाता है। इस इमेज से निकलने के चक्कर में कंगना से भूलें हुई। उन्होंने चालू किस्म की फिल्में कर लीं। तुरंत ही उन्हें अपनी भूलों का एहसास हुआ तो वह संभल गई।


दमदार भूमिकाएं

कंगना को अपने करियर की शुरुआत में ही ऐसी गंभीर और दमदार भूमिकाएं मिलीं, जैसी दूसरी अभिनेत्रियों को 20-25 फिल्में करने के बाद मिलती हैं। कंगना ने उन्हें चुनौती के तौर पर लिया और साबित किया कि निर्देशकों ने उनका गलत चुनाव नहीं किया था। कम लोगों को मालूम होगा कि मिलन लुथरिया ने द डर्टी पिक्चर पहले कंगना को ऑफर की थी। वे उनकी प्रतिभा से परिचित थे, लेकिन कंगना ने इस बहाने मना कर दिया कि वह लगभग ऐसी ही भूमिका वो लमहे में निभा चुकी हैं। कंगना ने आत्मविश्वास के साथ काम किया। भूलें कीं तो उनसे सीखा। उन्होंने कभी किसी निर्देशक या हीरो को फ्लॉप फिल्म के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। किसी वजह से रासकल्स की तो भी फिल्म खत्म होने के बाद आरोपों के बावजूद खामोश रहीं। उन्होंने बहुत पहले समझ लिया था कि आरोपों और आलोचनाओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है।


बनना है निर्देशक

कंगना ने हाल ही में अमेरिका जाकर एक शॉर्ट फिल्म का निर्देशन किया है। उन्हें लगता है कि वह सफल निर्देशक हो सकती हैं। यह शॉटर् फिल्म उसी की शुरुआत है। इतना ही नहीं इन दिनों वह स्क्रिप्ट भी लिख रही हैं। एक तो पूरी हो चुकी है और दूसरी लिखी जा रही है। कंगना की इच्छा है कि वह फिल्म निर्देशन में उतरें और अपनी स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाए

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