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यादें याद आती है….

Jagran Sakhi
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यादों की दुनिया कभी तो सपनीली होती है लेकिन कई बार यादों के शूल मन में इस कदर चुभ जाते हैं कि जिंदगी खत्म सी लगने लगती है। समय थम जाता है और आगे बढने के रास्ते नजर आने बंद हो जाते हैं। किसी के साथ कोई खास घटना घट जाती है, जिसकी यादों में जिंदगी फंस कर रह जाती है तो कुछ लोग आदतन यादों के भंवर में उलझे रह जाते हैं। मनोवैज्ञानिकों से बातचीत के आधार पर कहें तो लगभग 80 फीसदी लोगों की पर्सनैलिटी पर अतीत की छाप दिखती है। पर यह स्थिति किसी भी सूरत में इंसान के लिए अच्छी नहीं है।

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past lifeहरिवंश राय बच्चन ने अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद जो बीत गई सो बात गई नामक रचना लिखी। शायद यह उनकी ओर से अतीत से निकलने का एक प्रयास था। अतीत से निकलना भले ही कितना मुश्किल क्यों न लगता हो लेकिन हर नजरिये से यही उचित माना जाता है। व्यावहारिकता की दृष्टि से देखें तो समय किसी के लिए नहीं रुकता, भले ही आप अतीत की यादों में कितने ही क्यों न जकडे हों। इसके नुकसान भी आपको झेलने पड सकते हैं। पहला नुकसान तो यह है कि जब तक आप पिछला छोड नहीं देते, आगे बढना और भी मुश्किल हो जाता है। दूसरा यह कि आप अतीत के साथ रहकर खुद को और पिछडा बना लेते हैं।


अतीत भुलाने का मतलब

1. अतीत भुलाने का मतलब है उन स्थितियों को कुबूल कर लेना जिन्होंने आपको आहत किया हो। यह मान लेना कि आपने उन स्थितियों में वह किया जो आप कर सकते थे और कुबूल कर लेना कि अब उसमें कोई सुधार नहीं किया जा सकता।

2. अतीत को भुलाने का मतलब खुद को बीते वक्त में की हुई गलतियों के लिए माफ कर देना है। उस उधेडबुन से बाहर निकलना कि आप क्या कर सकते थे या क्या नहीं करना चाहिए था। अगर आप अपनी गलतियों से डील कर रहे हैं या कोई हताशा का दौर देख रहे हैं तो आगे बढने के लिए खुद को माफ करना जरूरी हो जाता है।


2. अतीत को भूलने का मतलब यह भी है कि आपका अपनी भावनाओं पर नियंत्रण है और आप खुद को बीते हुए दुखद समय से बाहर निकालने के लिए वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। किसी दुखद रिश्ते या घटना के गम से बाहर निकलकर जीवन को आगे बढाना चाहते हैं।

4. अतीत भुलाने का मतलब है कि आप समय के चक्के की रफ्तार को कुबूल करते हैं।


5. अतीत भुलाने का मतलब है कि आप नए कनेक्शंस बना रहे हैं। हालांकि इसके लिए जरूरी नहीं कि आप नए लोगों से संपर्क में आएं बल्कि जरूरी यह है कि आप नए ढंग से रिश्तों को डील करें। अपने दोस्तों के साथ आउटिंग पर जाना शुरू करें या अपने पडोसियों के साथ सोशलाइज करें।

6.अतीत भूलने का मतलब है कि आप दुनिया को नए नजरिये से देखने को तैयार हैं।

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निकलें अतीत के शिकंजे से

1.जीवन के नए लक्ष्य तलाशें- जीवन में नए फोकल पॉइंट्स ढूंढें, तभी आप अतीत के चक्रव्यूह से निकल कर नई दिशा में अपनी सोच को केंद्रित कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिक समीर पारेख कहते हैं, फर्ज कीजिए किसी स्त्री ने अपने बच्चे को खो दिया हो और उस ट्रॉमा से निकलने के लिए वह कोई क्रेश या बच्चों से संबंधित एनजीओ खोल ले। इस तरह से वह स्त्री खुद को व्यस्त रखते हुए अपने जीवन में नए रास्ते तलाश सकती है।

2. कुबूल करना सीखें- आमतौर पर हम अतीत से इसलिए चिपके रह जाते हैं क्योंकि हम उसे कुबूल नहीं कर पाते। यदि आपके मन पर कोई बात लग गई हो तो उसके बारे में गहराई से सोचें और कुबूल करें कि वाक्या गुजर चुका है। अब आप कुछ नहीं कर सकते और आगे बढ जाएं।


3. जूझना छोड दें- कोई बुरी घटना होने के साथ ही मन में उधेडबुन सी शुरू हो जाती है। अतीत से निकलना है तो उस उधेडबुन को छोड दें।

4. हादसों से सीखें- मानना सीखें कि जीवन की सभी घटनाएं शिक्षाप्रद होती हैं और उनसे शिक्षा लेना सीखें।

कहावत है, बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले। यानी अतीत भुला कर भविष्य की ओर ध्यान केंद्रित करें। जिंदगी का बहाव किसी के लिए नहीं रुकता। इसमें बहना ही प्रकृति है। जितनी जल्दी यह मान लिया जाए, उतना ही खुद के लिए, अपने आसपास वालों के लिए और अपने माहौल के लिए अच्छा है।

Tags: past life, life and past, life and style, present life and past life


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