Menu
blogid : 760 postid : 564

बस देखने में अच्छा हो…..

Jagran Sakhi
Jagran Sakhi
  • 208 Posts
  • 494 Comments

good looksडॉयच बैंक के सीईओ जोसफ ऐकरमैन ने कहा कि स्त्रियों की उपस्थिति से उनकी टीम बेहतर होती है। जोसफ की इस बात पर दुनिया भर में वाद-विवाद हुए। हर एक ने इस लाइन का अपने नजरिये के अनुसार विश्लेषण किया। कुछ जगहों पर यह कहा गया कि जोसफ का आशय खूबसूरत चेहरों और प्रेजेंटेबल शख्सीयतों से था। यानी जो दिखता है, वह बिकता है। एक तरह से देखा जाए तो नए दौर का कॉरपोरेट जगत पूरी तरह इस बात का समर्थन करता है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नीतियां इस बात का पुरजोर समर्थन करती नजर आती हैं कि कर्मचारियों की शख्सीयत आकर्षक हो तो बेहतर काम निकाला जा सकता है। एक प्राइवेट कंपनी की एचआर मैनेजर चारू शर्मा कहती हैं, आकर्षक शख्सीयतें वर्कप्लेस के माहौल पर बहुत असर डालती हैं। अगर चंद खूबसूरत चेहरे और वेल-ग्रूम्ड पर्सनैलिटीज आसपास हों, तो कार्यक्षमता बढती है। कुछ हद तक यह बात आम जीवन में सच नजर आती है। अपनी फेवरिट ड्रेस पहनकर या लुक में थोडा-सा बदलाव करके कॉन्फिडेंस महसूस होने लगता है। दूसरों पर अच्छा इंप्रेशन पडने के साथ ही खुद को भी बेहतर महसूस होता है। आकर्षक शख्सीयत और वेल-मेंटेंड लुक किसे पसंद नहीं आता! लेकिन क्या यह सफलता का रास्ता हो सकता है, आज के परिप्रेक्ष्य में यह एक बडा और महत्वपूर्ण सवाल है। नए दौर में करियर ग्रोथ के लिए महज टैलेंट नहीं, बल्कि और भी कई बातें महत्वपूर्ण हो गई हैं। ड्रेसिंग सेंस से लेकर बॉडी लैंग्वेज और बातचीत के तरीके तक, पूरी शख्सीयत महत्वपूर्ण हो गई है। कॉरपोरेट जगत में अब एक कंप्लीट पैकेज की मांग होने लगी है। ह्यूमन रिसोर्स विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैलेंट के साथ आकर्षक पर्सनैलिटी हो तो सफलता की संभावना बढ जाती है। इस बाबत सखी ने दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों के 1000 लोगों के बीच एक सर्वे किया। सर्वे के आंकडे यहां पेश किए गए हैं।

आकर्षक पर्सनैलिटी जरूरी

क्लाइंट सर्विसिंग और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों में कर्मचारी की शख्सीयत उसकी सफलता का एक महत्वपूर्ण आधार होती है। इन क्षेत्रों में सफलता का आधार ही प्रेजेंटेबल होने पर टिका होता है, लेकिन नए दौर में आकर्षक शख्सीयत लगभग हर जॉब प्रोफाइल की जरूरत हो गई है। ग्रूमिंग एक्सपर्ट मेहर भसीन कहती हैं, जॉब चाहे एयर होस्टेस का हो या सॉफ्टवेयर इंजीनियर का, टैलेंट के साथ अच्छी शख्सीयत बेहद जरूरी हो गई। भारत में प्रोफेशनल्स के बीच पर्सनैलिटी ग्रूमिंग एक आम बात होती जा रही है। कुछ साल पहले तक पर्सनैलिटी उतना महत्वपूर्ण मानक नहीं होती थी, जितना अब है। पर्सनैलिटी का महत्व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से बाद ही बढा। यह चलन अब जोर पकड चुका है। नए दौर के युवाओं को यह अच्छी तरह पता है कि उन्हें अगर सफलता पानी है तो न केवल प्रोफेशनल स्किल्स निखारने की जरूरत है, बल्कि पर्सनैलिटी ग्रूमिंग भी बेहद जरूरी है। शायद यही वजह है कि पर्सनैलिटी निखारने के स्कूल हर गली-मोहल्ले में खुल रहे हैं और प्रचलित भी हो रहे हैं।


Read : वो जब बुलाएगा मुझे जाना होगा…..


खूबसूरती ही आकर्षण नहीं

आकर्षक शख्सीयत को लोग अकसर खूबसूरत चेहरे-मोहरे से जोडकर देखते हैं। लेकिन प्रोफेशनल दुनिया में शख्सीयत की परिभाषा इससे थोडी अलग है। मेहर कहती हैं, पर्सनैलिटी का मतलब आकर्षक शक्ल-सूरत नहीं होता। चेहरा-मोहरा प्राकृतिक होता है, लेकिन उसे सुधारा जा सकता है। छोटे-मोटे कॉस्मेटिक बदलाव जैसे हेयर कट करके लुक में बदलाव किया जा सकता है। इस दौर के प्रोफेशनल्स अपनी फिटनेस को लेकर भी इसीलिए कॉन्शियस हैं, ताकि वे आकर्षक और फिट लगें। इसके अलावा व्यक्ति की ड्रेसिंग, तौर-तरीेका, शिष्टाचार और बॉडी लैंग्वेज भी प्रोफेशनल दुनिया में कामयाबी के लिए अहम हैं। मेहर की बात को आगे बढाती हैं प्रिया वॉरिक फिनिशिंग स्कूल की एक्सपर्ट प्रिया वॉरिक। प्रिया कहती हैं, इंटरव्यू के दौरान जितना टैलेंट महत्वपूर्ण होता है, उतनी ही पर्सनैलिटी। चंद मिनटों में टैलेंट का जायजा लेना मुश्किल होता है, लेकिन पर्सनैलिटी चंद सेकंडों में जादू करती है। टैलेंट का पता तो लंबे समय में चलता है। आकर्षक शख्सीयत का जादू ही अलग होता है। आपके बोझिल ऑफिस में अगर एक ऐसी शख्सीयत आ जाए तो आपका ध्यान खुद-ब-खुद उसकी ओर आकर्षित हो जाएगा। सॉफ्टेवयर इंजीनियर गीता स्वास्तिक कहती हैं, हमें अपने जॉब में कोई पब्लिक इंटरैक्शन नहीं करना होता, लेकिन हमें भी पर्सनैलिटी के आधार पर नियुक्त किया जाता है। इसकी वजह ये है कि कंपनियों को कॉन्फिडेंट लोगों की जरूरत होती है। अगर आपकी पर्सनैलिटी अच्छी है तो आत्मविश्वास आपके हाव-भाव से ही झलकेगा। देखा जाए तो आकर्षक पर्सनैलिटी निजी जीवन में भी बहुत फायदेमंद हो सकती है। पब्लिक रिलेशंस एक्जीक्यूटिव संदीप अरोडा कहते हैं, राह चलते भी अगर कोई इंप्रेसिव पर्सनैलिटी सामने से गुजरे तो नजर पड ही जाती है। मैं रोज दिल्ली मेट्रो में सफर करता हूं। अगर कोई आकर्षक लडकी पुरुषों से सीट मांगे तो उसे आसानी से दे दी जाती है, वहीं कोई साधारण दिखने वाली लडकी सीट की चाह रखे तो कई बार उसे डांट दिया जाता है। यह फर्क सिर्फ शख्सीयत के आकर्षण के कारण होता है।


पर्सनैलिटी मददगार?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कंपनियां बेहतर शख्सीयत वाले कर्मचारियों को पसंद करती हैं, लेकिन क्या पर्सनैलिटी सफलता का रास्ता बन सकती है? आईडीबीआई बैंक की रीजनल हेड (नॉर्थ) ममता रोहित कहती हैं, आकर्षक और एक्सट्रोवर्ट शख्सीयत कुछ हद तक सफलता दिलाने में मदद करती है, इसमें कोई दोराय नहीं है। लेकिन सिर्फ इसी के सहारे ऊंचा मुकाम मिल जाए, ऐसा बिलकुल नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें अंतर्मुखी शख्सीयतों ने सफलता हासिल की। शुरुआती दौर में आकर्षक शख्सीयत का असर पडता है, लेकिन लंबी रेस के घोडे टैलेंट की सडक पर ही दौडते हैं।


ममता रोहित की बात को आगे बढाते हुए स्कूल टीचर शेफाली बैनर्जी कहती हैं, हमारे प्रोफेशन में भी ग्रूम्ड पर्सनैलिटी की डिमांड बहुत ज्यादा हो गई है। जाहिर है जब हम अच्छी तरह गू्रम्ड होंगे, तभी बेहतर और कॉन्फिडेंट बच्चे तैयार करेंगे। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक टीचर के मैनर्स बहुत अच्छे हों, उसका ड्रेसिंग बेहतरीन हो, उसकी बातचीत का ढंग और शख्सीयत आकर्षक हो तो वह अच्छी अध्यापिका है। उसे उसका विषय अच्छी तरह आना चाहिए, इसके अलावा उसे क्लासरूम हैंडल करने का सलीेका होना चाहिए। तभी उसे अच्छी टीचर माना जाएगा। अन्य गुणों में व्यक्ति अगर ऐवरेज हो तो भी सफल टीचर बन सकता है।


लिंगभेद का कारण?

हालांकि पर्सनैलिटी का महत्व काफी बढ गया है, लेकिन अभी भी कम ही लोग इस धारणा को स्वीकार करते हैं। इस धारणा को ज्यादा तूल बडे शहरों में दिया जाता है, जबकि छोटे शहरों में अभी भी स्थिति पहले जैसी ही है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर मोहन पंत कहते हैं, आकर्षक पर्सनैलिटी के ज्यादातर मानक ऐसे हैं जो लडकियों पर फिट होते हैं। लडकों के मामले में चीजें अभी उतनी नहीं बदली हैं। हमारे लिए न तो उतने मानक हैं, न ही उस स्तर पर जानकारी। लेकिन लडकों को कुछ हद तक इसका नुकसान भी झेलना पडता है। मार्केटिंग आदि क्षेत्रों में रिक्रूटमेंट के टाइम पर लडकियों को पर्सनैलिटी फैक्टर के कारण तरजीह मिल जाती है और हम पीछे रह जाते हैं। देखा जाए तो यह गलत है।


अपवाद भी हैं..

एक तरफ जहां पूरी दुनिया मानती है कि अच्छी पर्सनैलिटी और खूबसूरती कार्यस्थल पर तरक्की की सीढी बन सकती हैं, वहीं एक रिसर्च इस धारणा के बिलकुल विपरीत है।


एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जब कुछ खास तरह की नौकरियों की बात आती है तो आकर्षक स्त्रियों को भेदभाव का सामना करना पडता है।


Read : किशोर उम्र का वो नाजुक मोड़….!!


कोलोराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि पुरुषों के काम समझे जाने वाली नौकरियों की बात जब आती है तो आकर्षक स्त्रियों को भेदभाव का शिकार होना पडता है। क्योंकि इस तरह की नौकरियों में व्यक्ति का लुक कोई खास मायने नहीं रखता।


अध्ययन में पाया गया कि इसमें मैनेजर ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट, वित्त निदेशक, मेकैनिकल इंजीनियर और कंस्ट्रक्टशन सुपरवाइजर जैसे पद शामिल हैं। ऐसे जॉब्स ज्यादातर पुरुषों को ही ऑफर किए जाते हैं, क्योंकि इनमें जितना बौद्धिक श्रम जरूरी होता है, उतना ही शारीरिक श्रम भी। इनमें पर्सनैलिटी नहीं, बल्कि उनका ज्ञान और विषय की व्यावहारिक समझ महत्वपूर्ण होती है।


प्रेजेंटेबल होना जरूरी


वंदना लूथरा, वीएलसीसी की फाउंडर और मेंटर


सफलता के लिए खूबसूरत शख्सीयत जरूरी है, ऐसा नहीं है, लेकिन खूबसूरती सफलता का रास्ता जरूर बन सकती है। हां, यहां खूबसूरती की आम परिभाषा नहीं चलती। खूबसूरती से मेरा आशय प्रेजेंटेशन से है। अगर व्यक्ति का चेहरा-मोहरा ठीक-ठाक हो, उसका बातचीत का ढंग अच्छा हो और उसकी पर्सनैलिटी आकर्षक हो तो उसे वरीयता मिलती है। अगर हम ये कहें कि लुक्स का महत्व नहीं है तो यह गलत है। ब्यूटी बिजनेस में होने के नाते यह कह सकती हूं कि आज के प्रोफेशनल्स लुक्स को लेकर भी उतने ही सजग हैं जितने कि अपने करियर ग्रोथ को लेकर। कॉरपोरेट जगत में प्रेजेंटेशन का महत्व दिनोदिन बढता जा रहा है।


टैलेंट को मिलती है पहचान

रणवीर सिंह, अभिनेता

बॉलीवुड में चॉकलेटी चेहरों की मांग है। जब मेरे जैसा चेहरा बैंड बाजा बारात के प्रोमो के साथ टीवी पर दिखा तो लोगों की प्रतिक्रिया थी कि कैसे-कैसे लोग फिल्मों में आने लगे हैं। बॉलीवुड हीरो की पारंपरिक इमेज के करीब भी नहीं हूं मैं। शूटिंग के दौरान और प्रोमोज की रिलीज तक लोगों को लगता था कि मैं बेकार हूं और मेरी शक्ल में कोई आकर्षण नहीं है। लेकिन फिल्म रिलीज होने के साथ ही इन सारी बातों का अंत हो गया। लोगों ने मेरे लुक्स से हटकर मेरे टैलेंट को सराहना शुरू कर दिया। सिर्फ मैं ही क्यों, जब अमिताभ बच्चन जी इंडस्ट्री में आए थे, उनके लुक्स पर भी सवाल उठे थे। लेकिन आज वह इस स्थिति में हैं कि सफलता शब्द उनके सामने छोटा पड जाता है। बॉलीवुड ग्लैमर का गढ है, लेकिन यहां भी ऐसे बहुत लोग हैं जिन्होंने खास लुक्स के बिना भी सफलता पाई है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि लुक्स लंबे समय में उतना मायने रखते हैं। टैलेंट को देर से ही सही, पहचान जरूर मिलती है।


क्या कहते हैं शोध..

आकर्षक बॉस ज्यादा योग्य

एल मैगजीन और एमएसएनबीसी डॉट कॉम के संयुक्त तत्वावधान में किए गए वर्क एंड पावर सर्वे के अनुसार आकर्षक पर्सनैलिटी वाले बॉसेज को ज्यादा योग्य माना जाता है। माना जाता है कि कम आकर्षक लोगों के मुेकाबले आकर्षक शख्सीयत के लोग काम को बेहतर तरीके से दूसरे को सौंपते हैं और टीमवर्क की भावना पैदा करने में सफल होते हैं। इस सर्वे में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई। सर्वे के अनुसार स्त्रियां समझती हैं कि उनके लुक्स के आधार पर ही उनकी क्षमताओं को जज किया जाता है। इस सर्वे में 58 प्रतिशत फीमेल बॉसेज, जो कि दिखने में आकर्षक थीं, को सुयोग्य माना गया, जबकि केवल 41 प्रतिशत ऐवरेज दिखने वाली स्त्रियों को अच्छी बॉस माना गया। अनाकर्षक शख्सीयत वाली बॉसेज में केवल 21 प्रतिशत स्त्रियों को उनके सहयोगियों ने योग्य माना। पुरुषों के मामले में भी ये आंकडे लगभग ऐसे ही रहे। 61 प्रतिशत आकर्षक पुरुष बॉसेज को सहकर्मियों ने योग्य बताया, जबकि ऐवरेज लुक्स वाले पुरुष बॉसेज के मामले में यह आंकडा 41 प्रतिशत पर गिर गया। अनाकर्षक शख्सीयत वाले 25 प्रतिशत पुरुष बॉसेज को योग्य माना गया।


5 प्रतिशत ज्यादा कमाते हैं आकर्षक लोग

अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार आकर्षक दिखने वाले लोगों की तनख्वाहें उनके साधारण दिखने वाले सहयोगियों के मुेकाबले कम होती है। रिसर्च के अनुसार आकर्षक शख्सीयत वाले लोगों की तनख्वाह अनाकर्षक दिखने वालों के मुकाबले करीब 5 प्रतिशत प्रति घंटा ज्यादा होती है। बैंक के शोधकर्ताओं के अनुसार पढाई-लिखाई के स्तर और अनुभव का अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो शख्सीयत के आधार पर ज्यादा मिलने वाली तनख्वाह ब्यूटी प्रीमियम की तरह होती है। क्लाइंट सर्विसिंग जैसे जॉब्स में आकर्षक पर्सनैलिटी वाले लोगों की मांग और बढ जाती है। इस स्टडी में देखा गया कि प्राइवेट सेक्टर के वकीलों की तनख्वाह सरकारी वकीलों के मुकाबले ज्यादा होती है। प्राइवेट सेक्टर वाले क्लाइंट्स को आकर्षित करने के लिए अपनी शख्सीयत को उभारने में काफी मेहनत करते हैं, जबकि सरकारी वकीलों को ऐसा करने की जरूरत नहीं होती।


ग्लैम व‌र्ल्ड में टैलेंट ऊपर

सारा जेन, फॉर्मर मिस इंडिया व अभिनेत्रीआकर्षक पर्सनैलिटी जरूरी है, लेकिन टैलेंट से ज्यादा नहीं। ग्लैम व‌र्ल्ड में खूबसूरती और आकर्षण से ही रोजी-रोटी चलती है, लेकिन यहां भी टैलेंट का महत्व कम नहीं है। टैलेंट हमेशा अपनी सही जगह पा ही जाता है, चाहे खूबसूरती उसके साथ हो या न हो। हमारे देश के सफलतम लोगों की फेहरिस्त देखिए तो कम ही लोग आकर्षक या खूबसूरत नजर आएंगे। लेकिन उन्हीं लोगों ने सफलता के नए आयाम हासिल किए। सफलता के लिए आकर्षक होना अहम नहीं है। एक तरफ जब मैं यह बात कहती हूं तो दूसरी तरफ स्पो‌र्ट्स इलस्ट्रेटेड जैसी पत्रिकाएं इस बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या वोकई सिर्फ टैलेंट काफी है! स्पो‌र्ट्स इलस्ट्रेटेड खेल की पत्रिका है, लेकिन उसमें मॉडल्स के बिकीनी शॉट्स छपते हैं। यानी लुक्स के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


आकर्षक लुक्स ज्यादा दिन नहीं चलते

आर. माधवन, अभिनेता

अगर आप मुझे फिल्मों में काम करते न देखें तो शायद ही येकीन करें कि मैं ऐक्टर हूं। कुछ लोग दूर से ही आकर्षक नजर आ जाते हैं और कुछ लोगों को अपने काम से अपने लिए आकर्षण पैदा करना पडता है। मैं हीरो मटीरियल नहीं हूं, लेकिन मुझे लोग ऐक्टर के तौर पर पसंद करते हैं। बहुत कम लोग हीरो इमेज के साथ ज्यादा दिन चल पाते हैं। बाद में उन्हें ऐक्टर ही बनना पडता है। मैं शुरू से ही ऐक्टिंग के दम पर चल रहा हूं। इसलिए मुझे लुक्स ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं लगते।


ooffice looksसामाजिक दबाव है यह

डॉ. जमुना पई, कॉस्मेटिक फिजिशियन

हमारे समाज में आकर्षक होना हर मामले में फायदेमंद साबित होता है। चाहे नौकरी ढूंढना हो या शादी करना, हर जगह आकर्षक शख्सीयत महत्वपूर्ण होती है। मैट्रिमोनियल विज्ञापनों को ही देख लीजिए। सबसे पहला शब्द ब्यूटिफुल होता है। हॉस्पिटैलिटी और सर्विस सेक्टर में तो आकर्षक शख्सीयत के आधार पर ही जॉब मिलता है। एक एयरलाइन कंपनी के हेड होस्टेसेज के रिक्रूटमेंट के समय पर खुद इंटरव्यू पैनेल में बैठते हैं ताकि आकर्षक लोगों का चुनाव करें। मेरे पास कई परिवार अपनी बेटियों को इस मकसद से लेकर आते हैं कि उनके चेहरे में आकर्षण पैदा किया जा सके और उनकी स्किन ग्लो करे। दरअसल सुंदरता और पर्सनैलिटी का महत्व सामाजिक दबावों के कारण हमारे देश में कुछ ज्यादा ही है। दस लोग जो नौकरी मांगने आते हैं, उनमें सबकी क्षमताएं एक जैसी हों तो उस व्यक्ति का चुनाव होगा जो थोडा बेहतर दिखता हो। हर बॉलीवुड सेलब्रिटी दो-तीन घंटे जिम में मेहनत करता है। उसके बाद भी अगर उन्हें अपने शरीर या चेहरे में कोई कमी नजर आती है तो वे कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट्स के जरिये सुधारने की कोशिश करते हैं। वे टैलेंटेड हैं, लेकिन स्क्रीन पर परफेक्ट दिखने की चाह उनसे ये सब करवाती है। अच्छी पर्सनैलिटी सफलता की अहम सीढी हो सकती है।



सबसे अहम है टैलेंट

माधुरी दीक्षित, अभिनेत्री


मैं इस बात से इत्तेफोक नहीं रखती कि आकर्षक शख्सीयत ही सफलता दिलाती है अथवा खूबसूरती के दम पर आपको पूरी जिंदगी काम मिलता रहेगा। रेखा जी, शबाना जी, स्मिता पाटिल जी जैसी अभिनेत्रियों ने जब इंडस्ट्री में कदम रखा था तो ट्रेड पंडितों ने उनकी कुंडली लिख डाली थी कि ये साधारण चेहरे-मोहरे वाली अभिनेत्रियां हिंदी सिनेमा की हिरोइन के फॉरमैट में फिट नहीं होतीं। ये यहां टिक नहीं पाएंगी। हेमा जी के बारे में मैंने पढा था कि उन्हें पहली फिल्म सपनों का सौदागर से पहले हटा दिया गया था, क्योंकि प्रोड्यूसर को वह पसंद नहीं आई थीं। मगर राजकपूर ने प्रेशर डलवा कर उन्हें लिया था। कालांतर में हेमा जी और रेखा जी ने तो सुंदरता के सारे रिकॉर्ड तोड दिए। मेरी पहली फिल्म अबोध को डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं मिल रहे थे, क्योंकि उनकी नजर में फिल्म की ऐक्ट्रेस सुंदर नहीं थी। मेरा कहने का आशय यही है कि अगर आपमें टैलेंट है, मेहनत करने का जज्बा है और जुनून की हद तक जाकर मंजिल हासिल करने का उत्साह है तो आपकी सफलता को कोई रोक नहीं सकता। पहली हिट के लिए मुझे भी आठवीं फिल्म तेजाब तक जद्दोजहद करनी पडी थी। तेजाब की मोहिनी क्या चली कि लोगों ने मेरी तुलना मधुबाला जी से करनी शुरू कर दी, जिसे मैंने कभी नहीं स्वीकारा। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे साबित होता है कि टैलेंट ही आपको कामयाबी दिलाता है।

प्रस्तुति: राजेश श्रीवास्तव

……………………

ग्लैमर है जरूरी

सायना नेहवाल, बैडमिंटन खिलाडी

स्पो‌र्ट्स की दुनिया में लुक्स और पर्सनैलिटी का महत्व काफी बढ गया है। यही वजह है कि स्पो‌र्ट्स में डिजाइनर आउटफिट्स आ गए हैं। हर खेल को आगे बढने के लिए स्पॉन्सरशिप की जरूरत होती है। इसके लिए खिलाडियों को खेल के साथ-साथ अपने लुक्स, प्रोफाइलिंग और ब्रैंड वैल्यू का भी ध्यान रखना पडता है। हम इसे सही मानें या गलत, समय के साथ सभी को चलना ही पडता है। लुक्स और पर्सनैलिटी पर ध्यान में देने में तब तक कोई बुराई नहीं है, जब तक मुख्य काम प्रभावित न हो।


फ‌र्स्ट इंप्रेशन महत्वपूर्ण

रमोला बच्चन, रेस्टोरेटियर

जो लोग फ‌र्स्ट इंप्रेशन को लास्ट इंप्रेशन मानते हैं, वे खूबसूरती और आकर्षक शख्सीयत का महत्व बखूबी समझ सकते हैं। करियर में लुक्स का महत्व सबसे ज्यादा तब समझ आता है जब व्यक्ति किसी इंटरव्यू के लिए जाता हूं। वॉक-इन इंटरव्यू में आए 500 लोगों में से इंटरव्यूअर्स के पैनेल को आठ-दस लोग चुनने होते हैं। ऐसे मौेकों पर टैलेंट की परख होती है, लेकिन पर्सनैलिटी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इंटरव्यू रूम में जाने वाले शख्स का पहला इंप्रेशन कैसा पड रहा है, इस बात से भी यह तय होता है कि नौकरी मिलेगी या नहीं। जाहिर है इतनी भीड में जिसकी शक्ल-सूरत याद रह जाए, उसे नौकरी मिलने की संभावना बढ जाती है।

Post Your comment: क्या आपको लगता है कि गुड लुक्स आपको जॉब पाने में सहायता करते हैं या यह मात्र एक भ्रांति है?


Tags : Hindi Stories, office life, good looks, madhuri dixit, jagran sakhi blog, hindi blog, entertainment, jagran junction, peronality


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh