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पेंटिंग पैरडी

Jagran Sakhi
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01_2012_3-sak6781-1_1325354430हर घर की दीवारें कुछ नहीं, बल्कि बहुत कुछ कहती हैं। दीवारों का रंग, पेंटिंग्स और फेमिली फोटोग्राफ्स, सभी आपके नेचर को रिफ्लेक्ट करते हैं। इसलिए जरूरी है कि अपने घर के लिए जब पेंटिंग्स का सलेक्शन करें तो उनमें कुछ खास बातों का खयाल हमेशा रखें।


आपको पेंटिंग्स चुनने से पहले खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या यह आर्ट पीस मेरे घर के हिसाब से फिट होता है या नहीं? क्या इसे डिस्प्ले करने के लिए घर पर कोई परफेक्ट जगह है? या यह पेंटिंग सिर्फ इसलिए खरीदी जा रही है कि आपको पसंद है?


आपने अपने इन सवालों का जवाब तो खोज ही लिया होगा। आइए अब देखते हैं कि पेंटिंग को घर में लगाने से पहले किन बातों का खास खयाल रखना चाहिए।


दीवार के रंग

पेंटिंग को डिस्प्ले करने से पहले दीवार के रंग और पेंटिंग की कलर टोन को मैच करके देखना चाहिए। यह देखिए कि आपको किस कलर पर फोकस करना है। अकसर पेंटिंग्स पर नजरें नहीं टिकतीं क्योंकि पेंटिंग के कलर दीवार के रंग में घुल-मिल जाते हैं। साथ ही ब्राइट कलर जैसे येलो या ऑरेंज दीवारों पर पेंटिंग को डिस्प्ले नहीं करना चाहिए। हलके रंग वाली पेंटिंग को बोल्ड या पेस्टल कलर दीवारों पर और बोल्ड या पेस्टल कलर पेंटिंग को हलके रंग वाली दीवारों पर डिस्प्ले करना चाहिए, ताकि दीवार के रंग पेंटिंग के रंगों को कॉम्प्लीमेंट कर उसकी खूबसूरती बढाएं।


लाइट्स

आमतौर पर घरों में पेंटिंग के डिस्प्ले के वक्त प्रॉपर लाइट्स का इंतजाम नहीं किया जाता। यही वजह है कि स्टोर में जो पेंटिंग बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं, वही घर में आंखों को बहुत पसंद नहीं आतीं। इसके लिए सीलिंग और एक्स्ट्रा स्पॉट लाइट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर किसी पोट्रेट पेंटिंग को हाइलाइट करने के लिए पेंटिंग में ऊपर की तरफ बीचोबीच एक सिंगल स्पॉट लाइट का इस्तेमाल पेंटिंग की खूबसूरती को बढा देता है।


एक्सेसरीज

कभी-कभी पेंटिंग्स के प्लेसमेंट में एक बडा हाथ घर पर पहले से मौजूद एक्सेसरीज का होता है। इसमें फ्लॉवर वास से लेकर शोपीस तक और ड्रेपरी सभी शामिल हैं। एक्सपेरिमेंट के रूप में आप पेंटिंग के फोकस कलर को ध्यान में रखते हुए उसी रंग की बाकी एक्सेसरीज को एक ही जगह पर सजा सकते हैं। इसमें बिलकुल मेल खाते हुए ही रंग हो वह भी जरूरी नहीं है।


फ्रेम्स

पेंटिंग की खूबसूरती कुछ हद तक उसके फ्रेम पर भी निर्भर करती है। फ्रेम का रंग दीवार के रंग जैसा नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो पेंटिंग को उभार पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। ध्यान रहे कि पेंटिंग या फोटोग्राफ्स का फ्रेम भी आर्ट का ही एक हिस्सा है, इसलिए आर्ट पीस को चुनने से पहले उसके फ्रेम के कलर को भी ध्यान में रखना चाहिए।


हाइलाइट्स

1. बेडरूम में बेड के पीछे की दीवार का इस्तेमाल किसी भी पेंटिंग को हाइलाइट करने के लिए बेहतरीन हो सकता है।

2. डाइनिंग एरिया में जहां सभी फेमिली मेंबर्स एक साथ कुछ समय बिताते हों, वहां पेंटिंग्स का कोलाज नहीं तो फेमिली फोटोग्राफ्स को भी बखूबी डिस्प्ले किया जा सकता है।

3. ड्राइंग रूम या लिविंग एरिया में चूंकि अकसर ज्यादातर दीवारों पर खाली स्पेस नहीं होती, इसलिए आपको यहां खुद फोकस वॉल का सलेक्शन करना होगा। इसके लिए आप सोफा के पीछे की दीवार या फिर कैबिनेट वॉल का इस्तेमाल पेंटिंग डिस्प्ले के लिए कर सकते हैं।

4. अगर कोई अच्छी पर छोटी पेंटिंग है तो आप इसका इस्तेमाल सीढियों के नीचे, गैलरी, किचन या घर की किसी दूसरी खाली जगह को हाइलाइट करने के लिए कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि वहां लाइट का अरेंजमेंट बेहद जरूरी है।


न हो तो बेहतर

1. पेंटिंग्स जिनमें वायलेंस दिखाई देता हो, जैसे आर्मी या युद्ध का दृश्य हो

2. मॉडर्न आर्ट के नाम पर गरीबी दिखाने वाली पेंटिंग्स, जैसे भिखारी का चित्र

3. उम्र के पडाव को दिखाने वाली पेंटिंग्स, जैसे पुरानी ढहने वाली इमारत का दृश्य

4. एब्स्ट्रैक्ट में बेढंग शारीरिक आकृतियों वाली पेंटिंग्स

5. डराने वाली या शैतानी चिह्नों वाली पेंटिंग्स

6. ऐसी पेंटिंग्स जिनमें रंगों का मेल-जोल समझ में न आता हो

(वास्तु विशेषज्ञ और इंटीरियर डिजाइनर दिलीप फाटक से बातचीत पर आधारित)


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