- 208 Posts
- 494 Comments
हेल्थ पॉलिसी के प्रकार
इंडिविजुअल पॉलिसी : इसके तहत परिवार के हर सदस्य के लिए इंडिविजुअल मेडीक्लेम पॉलिसी ली जाती है। इसमें हर सदस्य के हॉस्पिटलाइजेशन खर्च के लिए पॉलिसी के सम एश्योर्ड का कवर मिलता है। यानी अगर परिवार में तीन सदस्य हैं और तीनों की पॉलिसी दो-दो लाख रुपये की है तो तीनों को दो-दो लाख रुपये का कवर मिलेगा।
फेमिली फ्लोटर पॉलिसी : यह पॉलिसी एक साथ पूरे परिवार को कवर देती है। इसमें एक पॉलिसी के ही तहत तीनों को मेडीक्लेम कवर दिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर दो सदस्यों ने कुल तीन लाख रुपये सम एश्योर्ड की पॉलिसी ली है तो किसी एक सदस्य के हॉस्पिटलाइजेशन खर्च के लिए दो लाख रुपये का भी कवर मिल सकता है, लेकिन कुल कवर तीन लाख रुपये ही मिलेगा। एक बार क्लेम के बाद पूरे साल के लिए आपका बाकी क्लेम कम हो जाएगा।
यूनिट लिंक्ड हेल्थ प्लांस : कुछ इंश्योरेंस कंपनियां अपने ग्राहकों को मार्केट पर आधारित यूनिट्स में निवेश के साथ हेल्थ पॉलिसी के लाभ मुहैया करा रही हैं। इसमें पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर निवेशक को मार्केट आधारित रिटर्न दिया जाता है।
पॉलिसी लेते हुए रखें ध्यान
1. अगर आपको कोई पुरानी बीमारी है तो उसका जिक्र जरूर करें। आमतौर पर बीमा कंपनियां मेडीक्लेम पॉलिसियों में दो साल तक पुरानी बीमारी के इलाज के लिए बीमा की सुविधाएं नहीं देतीं।
2. अपनी जरूरत के मुताबिक इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर प्लान को रिव्यू करें।
3. पॉलिसी लेने से पहले नियम व शर्ते ध्यान से पढें। बीमारी के लिहाज से कुछ मामलों में बीमा कंपनियां और बीमा सुविधाएं नहीं देतीं।
4. पॉलिसी के पूरे लाभ लेने के लिए जरूरी है कि आप अपनी हेल्थ या मेडीक्लेम पॉलिसी को नियमित रूप से जारी रखें। आमतौर पर पॉलिसी के लाभ दो साल बाद ही मिलने शुरू होते हैं।
कर में छूट
आयकर अधिनियम की धारा 80 (डी) के तहत हेल्थ पॉलिसीज पर कर में छूट
1. 15,000 रुपये तक पति, पत्नी और बच्चे
2. 15,000 रुपये तक माता-पिता (अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं तो 20,000 रुपये तक)
क्लेम के लिए रखें ध्यान
सभी इंश्योरेंस कंपनियों के नियम व शर्त अलग-अलग हैं। पर निम्न बातों का खास खयाल रखें:
1. कैशलेस सुविधा के लिए हॉस्पिटलाइजेशन की स्थिति में अपने एजेंट को 24 घंटे में जानकारी दें। इसके लिए हॉस्पिटल में मौजूद बीमा डेस्क आपकी मदद करेगा।
2. अगर नेटवर्किग हॉस्पिटल न हो तो रीइंबर्समेंट के लिए डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शंस, मेडिकल टेस्ट एवं बिल्स को संभाल कर रखें और इन्हें अपने एजेंट को दें। अगर आपने डायरेक्ट कंपनी से पॉलिसी ली है तो इन बिल्स को कंपनी को मेल या पोस्ट करें। इसमें थोडा वक्त लग सकता है।
आजकल कंपनियां भी अपने कर्मचारियों का हेल्थ इंश्योरेंस कराती हैं। कंपनी की ओर से कराए गए हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा लेने से पहले भी एक बार अपनी कंपनी और बीमादाता से पूरी जानकारी ले लें।
Source: Jagran Sakhi
Read Comments